


चाणक्य नीति में बताया गया है कि जीवन को किस तरह जीना चाहिए, अलग-अलग परिस्थितियों में मनुष्य को कैसे फैसले लेने चाहिए और राजा को अपने राजपाट की रक्षा के लिए क्या करना चाहिए? और दुष्टों का उपचार कैसे करना चाहिए? पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को कैसी सजा मिलनी चाहिए, इसे चाणक्य नीति के संदर्भ में जानिए। चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि दुष्टों के साथ क्या करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य दुष्टों के उपचार के बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि दुष्टों और कांटो का दो ही प्रकार से उपचार किया जा सकता है। या तो जूतों से कुचल देना या दूर छोड़ देना। आशय इस प्रकार है कि दुष्ट और कांटे एक समान होते हैं, इसलिए उन्हें या तो कुचल देना चाहिए या फिर उनके सामने से हट जाना चाहिए। दुष्ट से किसी प्रकार का कोई मतलब नहीं रखना चाहिए। या उसे ऐसा सबक सिखाना चाहिए कि ऐसी मिसाल बने कि फिर कोई आपका अहित करने का दुस्साहस न कर सके। यहां पर आचार्य चाणक्य कहते हैं कि परिस्थिति के अनुसार इनमें से कोई भी एक उपाय अपनाना चाहिए। पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में देखें तो मौजूदा परिस्थिति कहती है कि आतंकियों को कुचल देना ही सबसे उत्तम उपाय है ताकि फिर कोई भारत की तरफ आंखें उठाने से डरे।